तूफान की तबाही मानसून स्पेशल प्रतियोगिता हेतु रचना भाग 08 (.अन्तिम भाग) लेखनी कहानी -10-Jul-
आनन्द कोत्र उस आश्रम में रहते हुए चार साल से अधिक होचुके थे परन्तु आनन्द को तलाशने कोई नहीं आया। एक बार बरसात का मौसम आया।
और उस दिन बहुत तेज बरसात होरही थी चारौ तरफ घनघोर घटाए छाई हुई थी। इतनी तेज बरसात थी कि हर तरफ जल ही जल दिखाई देरहा था। सभी खेत खलिहान जल से भर चुके थे बिजली भी जोर जोर से तड़क रही थी ।
इतनी तेज बरसात किसीने भी पहले नहीं देखी थी। उस दिन ऐसा महसूस हो रहा था कि आज प्रलय आकर रहेगी। आश्रम के चारौ तरफ पानी ही पानी नजर आ रहा था। गुरूजी को चिन्ता होने लगी थी कि कहीं यह आश्रम छोड़कर किसी सुरक्षित जगह पर न जाना पडे़
बरसात रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी। यमुना का जलस्तर बढ़ता ही जारहा था। शाम को जल स्तर बहुत बढ़ गया था। सरकार की तरफ से यमुना किनारे बसे हुए लोगौ को सुरक्षित स्थान पर चले जाने के लिए कहा।
गुरूजी ने आनन्द को वहाँ से किसी और सुरक्षित आश्रम मे चलने के लिए कहा। परन्तु आनन्द बोला ," गुरूजी आपही कहते हो कि मृत्यु तो सभी जगह समान रूप से पहुँचती है। फिर यदि हमारी मृत्यु हम जहाँ जायेगे वहाँ पहुँच जायेगी। इसलिए मैं मृत्यु के डर से अपना आश्रम नही छोडू़ँगा।
और वह वहाँ से नहीं गया़ रात को पानी बहुत बढ़गया और आश्रम मे सब तरफ पानी भर गया। रात को ही पुलिस की गाडी़ आई और उनको जबरजस्ती वहाँ से लेजाने लगी। जिस गाडी़ मैं आनन्द बैठा था वह एक खाई में गिरने गयी जिसमें आनन्द के अधिक चोट लगी उनको अस्पताल में भरती कराया गया।
जब आनन्द को होश आया तब आनन्द जोर से चीखकर बोला," मुझे बचाओ मेरी बीबी व बेटी का अब क्या होगा यदि मै मर गया। "
उसके गुरूजी को उसके मुंह से बीबी व बेटी की बात सुनकर बहुत आश्चर्य हुआ। और वह पूछने लगे," आनन्द तू आज यह क्या बोल रहा है आज तेरे बीबी बच्चे कहाँ से आगये।
आनन्द बोला," आप कौन है ? मुझे मेरे घर लेचलो सविता मेरी प्रतीक्षा कर रही होगी। मेरी बेटी मेरा बिना खाना नही खाती है।?"
तब गुरूजी बोले," अरे आनन्द आज तू इतनी बहकी बहकी बातै क्यौ कर रहा है। तू मेरा शिश्य है आज तू मुझे कैसे भूल गया है। याद कर तूने रात को मुझसे क्या कहा था।
आनन्द बोला," मै आपको नहीं जानता हूँ आप कौन है। यह कौन सी जगह है मुझे यहाँ कौन लाया है। हमारी गाडी़ का एक्सीडैन्ट हुआ था। और लोग कहाँ है? "
अब गुरूजी की समझ मे सब आरहा था वह समझ गये यह अपनी पुरानी यादौ में वापिस चला गया है। फिर उससे उसका पता पूछा गया उसने सब बता दिया। आज गुरूजी के चेहरे पर सन्तोष था कि अब उसकी याददास्त वापिस आगयी । उसका परिवार उसे मिल जायेगा। वह इस बात से खुश थे।
इसके बाद उसके शहर की पुलिस की सहायता से उसकी पत्नी व बेटी को बुलाया गया। आज उसकी पत्नी सविता अपने पति को पाकर बहुत खुश हुई तब गुरूजी ने वह सब बताया कि आनन्द किस तरह उनके आश्रम में आया था।वह तब से उनकी सेवा कर रहा है ।गुरूजी ने यह भी बताया कि मैने आस पास सबजगह इसके बिषय में पूछ ताछ करवाई परन्तु कुछ पता न चल सका।
सविता को अपनी निष्ठा व भगवान पर भरोसा होगया। वह गुरूजी का धन्यवाद करके आनन्द को अपने घर लेआई। आब सविता के घर में खुशिया ही खूशिया थी।
रमन की माँ को जब यह खबर मिली वह उनके घर मिलने चली आई। और तब सविता ने मंजू का परिचय करवाया। आनन्द ऊनसे मिलकर बहुत खुश हुआ।
आज रुदाली अपने पिता को पाकर बहुत खुश थी परन्तु कभी वह सोचती कही यह सपना तो नही है कभी कभी उसका बिश्वास डगमगा जाता था। परन्तु फिर सामने पिता को साक्षात बैठा देखकर उसका बिश्वास दृढ़ होजाता था।
सविता ने आनन्द के साथ मिलकर शादी की तिथि तय करके शादी की तैयारी शुरू करदी ।
आनन्द भी अपने परिवार से मिलकर बहुत खुश था। अब सविता को शादी की कोई फिकर नही रही थी क्यौकि अब आनन्द के आजाने से उसके सिर पर की जिम्मेदारी कम होगयी थी।
रुदाली को अब शादी में उसके पापा का आशीर्वाद भी मिलना तय होगया इसलिए वह रमन को अपने लिए बहुत भाग्यशाली मान रही थी।
धीरे धीरे शादी वाला दिन भी आगया । रमन बारात लेकर उसके दरवाजे पर था सविता ने मंगल गीत गाकर सभी की आरती उतारी। विधि विधान से शादी की सभी रीत रिवाजै सम्पन्न होगयी।
अब रुदाली के सिर पर यह बोझ भी नही था कि उसकी मम्मी अकेली कैसे रहेगी। ईश्वर जो दुःख दिया था वह सब दूर होगया। और इस तरह रुदाली की विदाई भी होगयी।
लेकिन पति के आजाने से सविता को अब इतना बुरा नही लग रहा था।
जो घर एक बारिस के तूफान में उजड़ गया था वह दूसरे तूफान से फिर फल फूल गया।
इति
मानसून स्पेशल प्रतियोगिता हेतु अन्तिम भाग।
नरेश शर्मा " पचौरी "
27/07/2022
Punam verma
17-Aug-2022 08:14 AM
Very nice
Reply
Kusam Sharma
01-Aug-2022 08:43 PM
Nice
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Abhinav ji
31-Jul-2022 09:18 AM
Nice
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